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(23) सीताराम सटक गए, थाली लोटा पटक गए। ।

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(23) सीताराम सटक गए, थाली लोटा पटक गए।  पंकज खन्ना, इंदौर। 9424810575 (पोस्टेड: 3/6/2023) (नए पाठकों से आग्रह : इस ब्लॉग के परिचय और अगले/पिछले आलेखों के संक्षिप्त विवरण के लिए  यहां क्लिक  करें।🙏) संदर्भ के लिए पिछले आलेख क्रमानुसार: ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 ) ( 6 ) ( 7 ) ( 8 ) ( 9 ) ( 10 ) ( 11 ) ( 12 ) ( 13 ) ( 14 ) ( 15 )( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) ( 19 ) ( 20 ) ( 21 ) ( 22 ) (23) ग्रामोफोन और ग्रामोफोन के भोंपू का जमाना बीत गया।  ट्रक, बस, कार, जीप, सुअर-छाप टेंपो, मोटरसाइकिल, ऑटो रिक्शा और दूध वालों की साइकिल आदि में लगने वाला रमणीय, स्मरणीय भोंपू भी अब अप्रचलित हो चुका है। सांडा  भाई की  झोपड़ी या गुमटी जिससे पांडे का तेल  , सांडे का तेल भोंपू की आवाज पर बेचा जाता था, वो भी नहीं रही, उनका भोंपू भी नही रहा।  सरकारी मुलाजिमों द्वारा तांगों और ऑटो रिक्शा से  मुनादी, ढोल, ढिंढोरा पीटना और भोंपू पर चिल्लाना  "सुनो, सुनो, सुनो...." या   "नागरिक बंधुओं...." भी बंद हो चुका है। वक्त आ गया है जब  ग्रामोफोन के भोंपू के इस गरीब ...