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Showing posts from March, 2023

(22) अंकल सैम के अंकल सोम

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तवा संगीत: (22) अंकल सैम के अंकल सोम। पंकज खन्ना, इंदौर। 9424810575 (नए पाठकों से आग्रह : इस ब्लॉग के परिचय और अगले/पिछले आलेखों के संक्षिप्त विवरण के लिए  यहां क्लिक  करें।🙏) संदर्भ के लिए पिछले आलेख क्रमानुसार: ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 ) ( 6 ) ( 7 ) ( 8 ) ( 9 ) ( 10 ) ( 11 ) ( 12 ) ( 13 ) ( 14 ) ( 15 )( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) ( 19 ) ( 20 ) ( 21 ) (22) आज  18 मार्च  को विश्व पुनर्चक्रण दिवस (Global Recycling Day) है। ' उपयोग करो और फेंक दो' की नीति का बेशर्मी से पालन-पोषण करने वाले अंकल सैम ( अमरीका), कई अन्य बड़े वाले  देश और छोटे-बड़े NGO आज Recycling के नाम पर  हाय धरती, हाय पर्यावरण  बोल-बोल कर लपक के झूठी छाती कूटेंगे। बनावटी स्यापा मचेगा। वो दांव पेंच खेलेंगे, पैंतरा बदलेंगे पर सुधरेंगे नहीं! मानव जाति का भविष्य अंधकार में है, लुप्त होने की कगार पर है पर मानव मानने को तैयार नहीं है। धरती पर इंसान  200/400 साल से ज्यादा का मेहमान नहीं है। खुद को बचाने की कोई सूरत नहीं नजर आती लेकिन अहंकार में डूबा मानव 'धरती बच...

मेरे हज़रत ने मदीने में मनाई होली

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तवा संगीत: (21)  मेरे हज़रत ने मदीने में मनाई होली।  पंकज खन्ना, इंदौर। 9424810575 (नए पाठकों से आग्रह : इस ब्लॉग के परिचय और अगले/पिछले आलेखों के संक्षिप्त विवरण के लिए  यहां क्लिक  करें।🙏) संदर्भ के लिए पिछले आलेख क्रमानुसार: ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 ) ( 6 ) ( 7 ) ( 8 ) ( 9 ) ( 10 ) ( 11 ) ( 12 ) ( 13 ) ( 14 ) ( 15 )( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) ( 19 ) ( 20 ) ( 21 ) शायद आपको थोड़ा अटपटा, अजीब सा लग रहा होगा इस आलेख का शीर्षक पढ़कर। होली तो सिर्फ वृंदावन और मथुरा की प्रसिद्ध है।अब ये किस होली की बात की जा रही है?  ये सन 1912 में गौहर जान (1873-1930) द्वारा लिखित और गाई गजल की पहली लाइन है। गौहर जान के बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं। चाहें तो इस लिंक को क्लिक करके पहले वाला आलेख दुबारा पढ़ सकते हैं। जैसा कि आप जानते हैं गौहर जान सम्पूर्ण भारत वर्ष की पहली मेगा स्टार सिंगर थीं। फिल्मी संगीत तो सन 1932 से शुरू हुआ था। पर ये उसके भी 30 साल पहले  संगीत की दुनिया में छा चुकी थीं।  पेशे से तवायफ कहलाती थीं।  खुद गजलें लिखती थीं और खूब गाती थीं। और हर ...

(20) मान लो जो कहे किट्टी केली।

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तवा संगीत: (20)   मान लो जो कहे किट्टी केली!  पंकज खन्ना, इंदौर। 9424810575 (नए पाठकों से आग्रह : इस ब्लॉग के परिचय और अगले/पिछले आलेखों के संक्षिप्त विवरण के लिए  यहां क्लिक  करें।🙏) संदर्भ के लिए पिछले आलेख क्रमानुसार: ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 ) ( 6 ) ( 7 ) ( 8 ) ( 9 ) ( 10 ) ( 11 ) ( 12 ) ( 13 ) ( 14 ) ( 15 )( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) ( 19 ) ( 20 ) (21) कुछ नए-पुराने दोस्त  जब इकठ्ठा हो जाते हैं  तो शिकायत करते हैं और मजे  लेते हैं तवा संगीत के, अपने-अपने अंदाज़ में:  -इतने पुराने गाने!? जब देखो तब भोंपू! -ऐसे गाने तो Radio Ceylone वाले भी नहीं सुनाते!   -जितनी तवा-वेज नहीं खाई उससे ज्यादा तवा-संगीत सुना दिया!  - ए लेके जाओ रे इसको!  -काली जान क्या तुम्हारे दद्दू की मौसी थीं!?  -किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा क्यों नहीं देते हो!?   -कौनसे पनवाड़ी से चिल्लम भरवाते हो?! -ये क्या तवाबाज़ी की हवाबाजी लगा रखी है।  -अजीब तवापा मचा रखा है। -इससे तो तुम्हारा Maths वाला ब्लॉग ही ठीक है!  -फिर से CAT के लिए मैथ्स ...

(18) संगीत के रसिया, सुमन चौरसिया!🎵🎶

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तवा संगीत: (18) संगीत के रसिया, सुमन चौरसिया!  पंकज खन्ना, इंदौर। 9424810575 (नए पाठकों से आग्रह : इस ब्लॉग के परिचय और अगले/पिछले आलेखों के संक्षिप्त विवरण के लिए  यहां क्लिक  करें।🙏) संदर्भ के लिए पिछले आलेख क्रमानुसार: ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 ) ( 6 ) ( 7 ) ( 8 ) ( 9 ) ( 10 ) ( 11 ) ( 12 ) ( 13 ) ( 14 ) ( 15 )( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) ( 19 ) ( 20 ) (21) ( To read the English Version of this Blog Article, please Click here .) इंदौर के सराफे में तवे पर बने  नाना प्रकार के व्यंजन जैसे टिकिया छोले, भुट्टे का किस, पावभाजी, डोसे, आदि सालों से ना सिर्फ इंदौर बल्कि पूरे देश के  खाऊ लोगों को लुभाते रहे हैं। सालों से सराफे की इस विशेषता को देश भर की पत्र पत्रिकाओं में भी प्रमुखता से छापा गया है।  पर इस सराफे का एक बहुत पुराना  संबंध संगीत के तवों ( रिकॉर्ड्स) से भी रहा है। लेकिन ये बात कभी भी नई पीढ़ी को बताई ही नहीं गई। आज की फेसबुक ,व्हाट्सएप, और यू ट्यूब की पीढ़ी के  लोग इस तथ्य को नहीं जानते हैं। ये दुखद है कि पुरानी पीढ़ी के लोग  ...

(17) कंघी चोटी भूल गई मैं, भूली कपड़ा गहना।

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तवा संगीत:(17) कंघी चोटी भूल गई मैं,भूली कपड़ा गहना  पंकज खन्ना, इंदौर। 9424810575 (नए पाठकों से आग्रह : इस ब्लॉग के परिचय और अगले/पिछले आलेखों के संक्षिप्त विवरण के लिए  यहां क्लिक  करें।🙏) संदर्भ के लिए पिछले आलेख क्रमानुसार: ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 ) ( 6 ) ( 7 ) ( 8 ) ( 9 ) ( 10 ) ( 11 ) ( 12 ) ( 13 ) ( 14 ) ( 15 )( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) ( 19 ) ( 20 ) (21) बड़े-बड़े कलाकारों के  महान गीतों के नाद में कभी-कभी कुछ बहुत उम्दा संगीत लंबे समय के लिए खो जाता है जिसे ढूंढ निकालने में सालों लग जाते हैं। ये बिलकुल वैसा ही है जैसे कोयल की मीठी आवाज सुनने की उत्कंठा में जंगल की बाकी चिड़ियाओं की संगीतमय आवाज़ को हम लोग अक्सर नजरअंदाज़ करते हैं या भूल जाते हैं। लोग जंगल घूमने जाते हैं , बहुत खर्चा करते हैं और सबसे बड़ा आकर्षण टाइगर देखकर आ जाते हैं। धन्य हो जाते हैं , बगैर अन्य जानवर  या  जंगल देखे और बगैर  जंगल का अप्रतिम संगीत सुने! प्रभु ने बहुतों को अलग-अलग मधुर आवाजें दी हैं। सिर्फ कुछ ही इंसानी आवाजों को भगवान की आवाज़ का दर्जा देना, प्रभु की व्यवस्था क...