(2) मिस दुलारी का झुमका बरेली वाला
तवा संगीत: मिस दुलारी का झुमका बरेली वाला
(पंकज खन्ना 9424810575)
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सन 1988 के आसपास नागपुर में रहते हुए महाल में स्थित एक पुरानी कैसेट वाली दुकान से के एल सहगल, पंकज मलिक और सी एच आत्मा के कुछ 78 rpm वाले रेकॉर्ड्स कवर (Sleeve) के साथ खरीदे। जवान दुकानदार खुश की कम से कम 20 साल पुराना ना बिकने वाला कचरा निकला। हम खुश की खजाना मिला! पर उसके चेहरे पर शोले के सूरमा भोपाली वाला भाव उत्पन्न हो रहा था:कहां कहां से आ जाते हैं!
उस दुकान वाले के पास कुछ और भी मुढ़े तुढ़े कवर थे जिनके अंदर के रेकॉर्ड्स गायब थे। मोलभाव करके वो खाली कवर भी खरीद लिए। उनमें से एक कवर था मिस दुलारी का। तब मुझे इनके बारे में कुछ भी पता नहीं था। लेकिन कवर देखकर ही मालूम हो गया की वो अपने जमाने की मशहूर सिंगर रही होंगी। उन सभी कवर को आज तक दुलार के साथ संभाल रखा है। मिस दुलारी के रिकॉर्ड कवर की फोटो नीचे प्रस्तुत हैं:
कवर पर लिखे टूटे फूटे शब्दों को पढ़ कर दिल ऐंज ऐंज करने लगा! इंसानी फितरत तो ऐसी ही होती है-और चाहिए , थोड़ा और चाहिए!
दिमाग में बैठ गया मिस दुलारी का रिकॉर्ड होनाच पाहिजे!! ढूंढो रे साजना....! हफ्ते, महीने, सालों बीत गए। ईश्वर ने भूलने की अद्भुत शक्ति दी है। भूल गए भिया कौन मिस दुलारी और कौन से रिकॉर्ड्स! चले गए तेल लेने!! हम तो थे ही तेली!
पूरे 11 साल बाद सन 1999 में रायपुर में एक प्यारे से हिलते डुलते जाली टोपी धारी 'Cheapjack' (हिंदी में इसका मतलब कबाड़ी समझें) के पास से कुछ पुराने Shellacs(78 rpm रेकॉर्ड्स) खरीदे। इन गुणी हजरत के बारे में विस्तृत चर्चा अगले किसी पोस्ट में होगी। इन रेकॉर्ड्स में से एक रिकॉर्ड था मिस दुलारी का। आखिर इतने साल बाद मिस दुलारी के कवर को रिकॉर्ड मिल ही गया।ये रिकॉर्ड संभवतः 1930 के आस पास का है। इसकी फोटो कवर के साथ नीचे संलग्न है।
इस रिकॉर्ड की एक साइड में गाना है: झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में। तब तक इस बात का idea नहीं था कि इस गाने का इतना पुराना version भी हो सकता है। हमें तो सिर्फ आशाजी का ही गाना मालूम था।
नौकरी में काफी प्रेशर रहता था उन दिनों और हमारा बच्चा भी सिर्फ 3-4 साल का था। वो दीवारों पर और हर किताबों पर पेन पेंसिल से लाईने खींचता रहता था। हम नहीं चाहते थे के बाप के होते वो मिस दुलारी पर लाइन मारे! लिहाजा सारे रेकॉर्ड्स को ट्रंक में प्यार से ठूंस दिया गया।:)
मिस दुलारी के रिकॉर्ड को खरीदे मुश्किल से एक महीना भी नहीं गुजरा होगा की ट्रांसफर ऑर्डर आ गया। ट्रांसफर होना तो एक सच्चाई है, उसमें क्या नया है? पर जब मालूम पड़ता है की ट्रांसफर बरेली में हुआ है तो बड़ा भुतहा संयोग लगता है!
बरेली एक छोटा सा शहर है। सामान्यतः कोई अफसर ऐसी जगह खुशी खुशी तो नहीं जाता था।पर हम तो बड़े खुश थे चलो बरेली का बाज़ार देखेंगे, झुमके देखेंगे, मिस दुलारी के और रेकॉर्ड्स ढूंढेंगे, और नजदीक ही स्थित कुमाऊं के पहाड़ देखेंगे!
देखते ही देखते बरेली पहुंच गए।कई महीने गुजर गए। यहां आकर और व्यस्त हो गए।ग्रामोफोन सुनने का टाइम ही नहीं मिला।पर रोज़ घर से ऑफिस पैदल जाने की आदत थी जनकपुरी से नेकपुर तक करीब 4 km का रास्ता। रास्तेमें ही कुतुब खाना और बड़ा बाज़ार आते थे। काफी ढूंढ मचाई पुराने बड़े बाज़ार में। ना झुमका मिला ना दुलारी बाई या अन्य किसी के रेकॉर्ड्स! पर जो वहां मिला वो कम ना था। वहां तो वो चीज़ें भी मिल जाती हैं जो मेरठ के नौचंदी के मेले में भी नहीं मिलती। पतंग, मांजा, हूचका, काजल, ममीरा, झुमका, कचनार के फूल, गिलकी के फूल, नाना प्रकार के आम, प्राचीन काल के लट्टू, बचे हुए दूध की खुरचन , लाल आलू की चाट, मूंग दाल की चाट, पुड़ी/कचोरी/बेड़ई / बेड़मी , मिट्टी और लकड़ी के खिलौने और पता नहीं क्या क्या--- सब कुछ अव्वल दर्जे का। इतने बड़े बाज़ार में झुमका गिरेगा तो कहां से मिलेगा!?
अब ये लाजिमी था कि बरेली पहुंच जाने के बाद कम से कम एकबार तो original झुमका गिरा रे सुन ही लिया जाए। रिकॉर्ड की हालत बहुत खस्ता थी।साबुन के पानी से धोने के बाद भी रिकॉर्ड साफ नहीं हुआ। एक तेली तेल के अलावा और क्या सोच सकता है ? केरोसीन मंगवाया और लगा दिया रेकॉर्ड्स पर! हल्के हल्के ब्रश से साफ किया और फिर कपड़े से पोछ दिया।आज भी यही करता हूं!
काफी घिसा हुआ रिकॉर्ड निकला। फिर भी सुनने में मज़ा तो आना ही था। बहुतों से पूछा लेकिन किसी ने मिस दुलारी का नाम तक नहीं सुना था। तब तक you tube का प्रादूरभाव नहीं हुआ था।
पर अब तो ये गाना you tube पर आसानी से उपलब्ध है।
सुनने के लिए यहां क्लिक करें।
गाने के बोल कुछ इस प्रकार हैं:
झुमका गिरा रे
बरेली की बाज़ार
बरेली की बाज़ार
बरेली की बाज़ार में
झुमका गिरा रे
अल्लाह झुमका गिरा रे
बरेली की बाज़ार में
झुमका गिरा रे।
अरे सास मोरी रोवे
हां सास मोरी रोवे
अल्लाह सास मोरी रोवे
ननद मोरी रोवे
सैंया रोवे रे
हां सैंया रोवे रे
सैंया रोवे रे
गले में बैयां डाल
गले में बैयां डाल
गले में बैयां डालके
सैंया रोवे रे
सास मोरी ढूंढे
हां सास मोरी ढूंढे
अल्लाह सास मोरी ढूंढे
सास मोरी ढूंढे
ननद मोरी ढूंढे
सैंया ढूंढे रे
हां सैंया ढूंढे रे
अल्लाह सैंया ढूंढे रे
मचाले जिया बार
मचाले जिया बार
मचाले जिया बार बार
अरे सास मोरी पीटे
ननद मोरी पीटे
हां सास मोरी पीटे
अल्लाह सास मोरी पीटे
सास मोरी पीटे
ननद मोरी पीटे
सैंया मोरा पीटे रे
सैंया मोरा पीटे
चक्की में गल्ला डाल
चक्की में गल्ला डाल
चक्की में गल्ला डालके
सैंया पीटे रे
बरेली की बाज़ार में
झुमका गिरा रे।
ये गाना एक पारंपरिक रचना है जिसे सालों से उत्तर प्रदेश में गाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि संभवतः मिस दुलारी ने इसे सर्वप्रथम रिकॉर्ड पर गाया। रिकॉर्ड के लिए लिखा किसने है कोई नहीं जानता!
पूरे गाने का लब्बोलुबाब ये है की नायिका ने बरेली के बाजार में झुमका गिरा दिया फलस्वरूप पति, सास और ननद पहले तो रोए फिर ढूंढे और आखिर में तीनों ने उसे वहीं पीट दिया! चक्की में गल्ला डाल के:)
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सन 1947 में फिल्म 'देखो जी' में शमशाद बेगम ने इसी गाने को कई सालों के बाद गाया।संगीतकार: तुफैल फारूकी और गीतकार: वली मोहम्मद।
जहां 1930 के मिस दुलारी के गाने में शास्त्रीय संगीत , लोक संगीत के साथ ट्रेजेडी और थोड़ी सी कॉमेडी थी। 1947 में अब सिर्फ कॉमेडी ही बची थी।इस दौर में अब झुमका गिरने पर पिटाई नहीं हुई! बल्कि सैंया झुमका ढूंढ रहे हैं नैनों में नैना डाल के! और तो और अब जेठ और जेठानी भी नमूदार हो गए । उन्होंने भी ढूंढा। जरूर महंगा रहा होगा।
झुमका गिरा रे झुमका गिरा रे
झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में
झुमका गिरा रे
सास मेरी रोए ननद मेरी रोए
सैंया रोये रे गले में बैयां डाल के
झुमका गिरा रे
जेठ मेरा ढ़ूंढ़े जेठानी मेरी ढ़ूढ़े
सैंया ढ़ूढ़े रे नैनों में नैना डाल के
झुमका गिरा रे
सैंया मेरा गावे बहन मेरी गावे
सैंया गावे रे गले में बाजा डाल के
झुमका गिरा रे।
इस गाने को सुनने के लिए यहां क्लिक करें।
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इस झुमके वाले गाने का सबसे प्रसिद्ध संस्करण आया सन 1966 में फिल्म मेरा साया में। इस नए सिरे से लिखा राजा मेंहदी अली खान ने। और संगीत दिया मदन मोहन ने।इसे आवाज दी आशा भोसले ने। बीच बीच में 'फिर क्या हुआ' बोला रेडियो एनाउंसर स्वर्गीय विनोद शर्मा ने जो मदन मोहन के मित्र भी थे। इस गाने में से अगर विनोद शर्मा की आवाज निकल दें तो गाना शायद सपाट हो जाएगा। अब इस गाने में तो मस्ती चरम पर आ गई थी। गाने के बोल कुछ इस तरह हैं:
फिल्म: मेरा साया (1966)
संगीत: मदन मोहन
गीतकार: राजा मेहदी अली खान
गायिका: आशा भोंसले और विनोद शर्मा
परदे पर नायिका: साधना
झुमका गिरा रे, बरेली के बाज़ार में
झुमका गिरा, झुमका गिरा, झुमका गिरा
हाय हाय हाय
झुमका गिरा रे...
सैंयाँ आये नैन झुकाये घर में चोरी चोरी
बोले झुमका मैं पहना दूँ, आजा बाँकी छोरी
मैं बोली ना ना ना बाबा, ना कर जोरा-जोरी
लाख मनाया, सैंयाँ ने कलैय्याँ नाहीं छोड़ी
हाय कलैय्याँ नाहीं छोड़ी
(फिर क्या हुआ?): पंडित विनोद शर्मा
फिर?
फिर झुमका गिरा रे
हम दोनों की तकरार में
झुमका गिरा रे...
घर की छत पे मैं खड़ी, गली में दिलबर जानी
हँसके बोले नीचे आ, अब नीचे आ दीवानी
या अँगूठी दे अपनी या छल्ला दे निशानी
घर की छत पे खड़ी-खड़ी मैं हुई शरम से पानी
हाय हुई शरम से पानी
(फिर क्या हुआ?): पंडित विनोद शर्मा
दैया!
फिर झुमका गिरा रे
हम दोनों के इस प्यार में
झुमका गिरा रे...
बगिया में बलमा ने मेरी लट उलझी सुलझाई
थाम के आँचल बोले, गोरी तू मेरे मन भाई
आँख झुका के कुछ ना बोली
कुछ ना बोली हाय, हाय, हाय
आँख झुकाके कुछ ना बोली, धीरे से मुसकाई
सैंयाँ ने जब छेड़ा मुझको, हो गई हाथापायी
हाय हो गई हाथापायी
(अरे, फिर क्या हुआ?): पंडित विनोद शर्मा
फिर झुमका गिरा रे
मैं क्या बोलूँ बेकार में
झुमका गिरा रे...
इस गाने को सुनने के लिए यहां क्लिक करें।
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किस्मत से मिस दुलारी के गए हुए कुछ गाने you tube पर
दर्ज हैं। इनके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी गूगल पर उपलब्ध नहीं है। ये पेशावर की रहने वाली थीं। इन्होंने ये गजल भी गाई थी: हंगामा है क्यों बरपा...। पर अभी तक कहीं मिली नहीं है।
इनका गाया ये गाना लाजवाब है: सैंया तेरी गोदी में गेंदा बन जाऊंगी। इसे सुनने के लिए यहां क्लिक करें।
इस गाने में बीच बीच में एक पुरुष की आवाज भी आती रहती है।ऐसा लगता है ये उस जमाने की live recording है। ये भाई साहब काफी मनचले दिखाई पड़ते हैं। काफी साल बीत चुके हैं, इसलिए इनकी बेहूदगी को माफ कर देता हूं;)
कहने को तो ये एक ही गाना है। पर हर वर्शन एक से बडकर एक!
पंकज खन्ना
9424810575
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